छंद छन्द- , संस्कृत वाङ्मय, जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करा के उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता है और लघु-गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की यह व्यवस्था कर दी जाती है तो वह एक विशिष्ट नाम वाला छन्द कहलाने लगती है , जैसे चौपाई , दोहा , आर्या , इन्द्र्वज्रा , गायत्री छन्द इत्यादि। छन्दों की रचना और गुण-अवगुण के अध्ययन को छन्दशास्त्र कहते हैं ; आचार्य पिंगल द्वारा रचित ' छन्दःशास्त्र ' सबसे प्राचीन उपलब्ध ग्रन्थ है , इस शास्त्र को पिंगलशास्त्र भी कहा जाता है छंद के अंग छंद के निम्नलिखित अंग होते हैं - · गति - पद्य के पाठ में जो बहाव होता है उसे गति कहते हैं। · यति - पद्य पाठ करते समय गति को तोड़कर जो विश्राम दिया जाता है उसे यति कहते हैं। · ...
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